कई बार जिंदगी हर बार कुछ सवालों के साथ हर मोड़ पर मिल जाती हैं, और हा ये सवाल कुछ नए नहीं होती वही पुरानी जिनका जवाब हैं क्या देना है खुद भी नहीं पता बस खुद को सांत्वना देने की भरपूर कोशिश करते रहते है, ताकि हम जिंदगी के सफ़र में थोड़ा दो कदम और आगे हो जाए!
वैसे ये सवाल अधूरी जिंदगी के पन्नों में से है जिनका जवाब आपको आता हैं, हमम भरना ही ठीक होगा या नहीं भी, तो शुरू करते है उन खास बातों को
जैसे अभी हम सब कहीं ना कहीं साधारणत दूर ही होंगे, और अपने अपने कामों में इतना व्यस्त ही होंगे कोई घर को लेकर, कोई शिक्षा को लेकर अकेले किसी शहर के कोने में रह रहे होंगे!
मेरे सवाल ये है कि क्या कभी याद आती है उन पुरानी बीते दिनों की जब हम साथ साथ सब काम किया करते थे, नहीं ना
आज सोशल मीडिया पर इतनी भारी भीड़ हैं लेकिन सब अकेले हैं! सच तो ये है कि अगर हम फ्रेंड भी है तो बात नहीं करते, ना ही मैसेज आने पर उसका जवाब देते हैं क्या ये सही हैं आप सोच के बताना?
जिसके साथ आपका बचपन बीता क्या आपका हक नहीं बनता उसको जवाब देने का? बताओं ज़रा. अगर इतना भी नहीं होता तो कम से कम उनके पोस्ट को लाइक करके उसका उत्साह ही बढ़ा सकते है, लेकिन नहीं चाहते कि मेरे दोस्त को खुशी हो, जब कोई हमारी पोस्ट को पसंद कर्ता है तो हमे अच्छा लगता हैं,
सार
यही की जब जिन्हें हम जानते ही नहीं वो जब हमारी सहायता करते है तो हमे बहुत खुशी होती हैं लेकिन समय पर अपने नज़रंदाज कर देते है और ईद का चांद हो जाते है, अब ऐसे ही लोगों की तलाश बाकी रह गयी हैं!
कोई नहीं आपके साथ नहीं ऐसा ही हुआ है,लेकिन इसका एहसास उनको नहीं हैं इसका एहसास कराने के लिए इसे आप शेयर कर कर मेरा भी और अपने उन लंगोटी यार को भेजे, और इसी कड़ी में एक दूसरे को जोड़ते चलें ...
धन्यवाद...