मांडव्य ऋषि को जिस राजा ने शूली पर चढाने का आदेश दिया उस राजा का नाम बतायें?
मैंने माण्डव्य ऋषि की कहानी व्यास महाभारत में पढ़ी है। इनकी कथा का संबंध विदुर के जन्म से है। लेकिन ग्रंथ में उस राजा के नाम का उल्लेख नहीं है जिसने उन्हें सूली पर चढ़ाने का आदेश दिया था।
कथा के अनुसार एक दिन माण्डव्य तपस्या में लीन थे। तभी कुछ चोर सैनिकों से भागते हुए उनके आश्रम पर पहुंचे और वहीं छुप गए। उनका पीछा करते सैनिक आश्रम पर आ पहुंचे और उन्होने उन चोरों को पकड़ लिया।
इससे सैनिकों के मन में माण्डव्य के प्रति भ्रम उत्पन्न हुआ और वे उनको अपने राजा के पास लेकर आए। राजा ने उन्हें सूली पर चढ़ाने का आदेश दे दिया।
किन्तु माण्डव्य बिना मृत्यु को प्राप्त हुए उसी सूली पर चढ़े रहे। कुछ दिनों के बाद जब वे सैनिक वहां गए और जब उन्होंने माण्डव्य को जीवित पाया, तब वे समझ गए कि यह कोई मामूली व्यक्ति नहीं हैं।
उन्होने यह बात राजा को बताई और राजा ने तत्काल माण्डव्य को सूली से उतारने का आदेश दिया। इसके बाद माण्डव्य धर्मराज के पास जाते हैं और उनसे प्रश्न करते हैं कि उनको किस पाप के कारण सूली पर चढ़े रहने का कष्ट सहन करना पड़ा।
इसके जवाब में धर्मराज कहते हैं कि माण्डव्य अपने बाल्यकाल में कीड़ों को पकड़कर उन्हें सीक से चुभाया करते थे (ऊपर चित्र में आप देख सकते हैं)। इसी कारण उन्हें सूली की पीड़ा सहन करनी पड़ी।
तभी माण्डव्य ने धर्मराज से कहा कि बाल्यकाल में किसी को भी धर्म - अधर्म का ज्ञान नहीं होता है। अर्थात्, उनको अपनी गलती की बहुत बड़ी सजा भुगतनी पड़ी है।
उन्होंने फिर धर्मराज को मानव योनि में उत्पन्न होने का शाप से दिया। इसी शाप के कारणवश धर्मराज मानव योनि में विदुर के रूप में उत्पन्न हुए।