मस्जिद है या शिवाला
ये सच बता ही देंगे
पूछेगी जब अदालत
पत्थर गवाही देंगे
हम जोड़ने के क़ायल
तुम तोड़ने में माहिर
मेहमान तुमको माना
और तुमने हमको काफिर
बस ये बता दो ख़ंजर
क्यूँ पीठ में उतारा
क्यूँ सोमनाथ तोड़ा
मथुरा को क्यूँ उजाड़ा
शंकर का जुर्म क्या था
कान्हा ने क्या किया था
वनवास राम जी को
बाबर ने क्यूँ दिया था
तेरह सौ साल हमने
यही सोचते गुज़ारे
क्यूँ गर्दनें उतारीं
क्यूँ फूंके घर हमारे
सारी जवाबदेही
तय होगी धीरे धीरे
हर-हर का नाद होगा
गंगा नदी के तीरे
सोया हुआ सनातन
चैतन्य है सजग है
वो वक्त कुछ अलग था
ये वक्त कुछ अलग है
क़ब्रों से खींचकर हम
लाएँगे सच तुम्हारे
आएँगे कटघरे में
औरंगज़ेब सारे
सारा हिसाब इक दिन
ज़िल्ले इलाही देंगे
पूछेगी जब अदालत
पत्थर गवाही देंगे!
हर हर महादेव 🚩🙏🚩